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कही राह भूला,
कही तुम भूलीं,
पर अक्स हमेशा याद रहा।
मैं खड़ा रहा,
वो खड़ी रही,
पर वक्त हमेशा चला रहा ।
तुम ना पूछों उस बोझ का दर्द,
मैं जिसमे अक्सर दबा रहा ।
कही वक्त खफा,
कही तुम खामोश,
और दिल भी चुप सा पड़ा रहा ।
ना शब्द मिला,
ना वक्त मिला,
जिसको मैं अक्सर ढूंढ रहा।
पर साहस भी बन गया नीच
ना तुम्हे मिली,
ना मुझे मिला।
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