Image
 UWEURSEFHLSFNKDLFXKVMLXV.XV ZDG;DVNXDKVM;LMV' VZXVNK;ZJVKZ;VMZVZ

ज़िन्दगी

अज़ीब राहे थी ज़िन्दगी की
ना चाहते हुए भी चलना पड़ा

जिन्हें समझा कभी अपना
उनकी हरकतों से भी सम्भालना पड़ा

हर एक दिन हर एक रातें
कुछ यूं गुज़री की क्या कहूँ
कभी हँसना पड़ा कभी रोना पड़ा

जानकर हकीकत इस दुनिया की
ना चाहते हुए भी खुद को बदलना पड़ा।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रिश्ते

ये रातें

शिकायत