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ऐ मन ठहर जरा

ऐ मन ठहर जरा
वहां नही कोई तेरा
जिस मोड़ पे है चल दिया
है बस वहां दर्द भरा

ऐ मन ठहर जरा

वो लोग कोई और थे
जिनसे तेरा था दिल लगा
ये वक्त कोई और है
क्यों बस नही खुद पे तेरा

ऐ मन ठहर जरा

वो हाथ अब नही रहा
जो सर पे था कभी रुका
वो प्यार भी नही रहा
जो आँशू संग कभी बहा

ऐ मन ठहर जरा

तू जिसके है तलाश में
वो लोग अब नही रहे
फिर हर समय क्यों याद मे
तू अस्क है गिरा रहा

ऐ मन ठहर जरा

हा जनता हु दिल पे
बस नही रहा कभी तेरा
तू बह चला हमेशा उस तरफ
जिधर लहर चला
ना लोग तेरे है
ना वक्त तेरा ही रहा
फिर याद में क्यों तू
हर घड़ी बिता रहा

ऐ मन ठहर जरा
ना कोई अब बचा तेरा
ऐ मन ठहर जरा

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