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उनकी नज़रो का जोर कुछ ऐसा चला,
सांसे चलती रही धड़कन थम सा गया,
राते आती रही हर एक दिन की तरह,
मैं तरसता रहा ,नींद गुम सा हुआ
एक बेचैनी सी मन मे थी छाने लगी,
मैं भुलाता रहा पर याद आने लगी,
ऐसा होता नही था कभी मेरे साथ,
बन के जादू वो रूह में समाने लगी,
मैं तड़पता रहा पर सांस आती रही,
और वो नज़रो से हमको सताती रही,
लाख चाहा बचाना खुद की तासीर को,
वो मुस्कुराती रही और जान जाती रही
कुछ ऐसा कयामत वो ढा गयी
रात की चांदनी में भी वो छा गयी
ऐसा सोचा नही था खयालो में भी
जैसे नज़रो से दिल मे वो आ गयी
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